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नमस्कार दोस्तों आह हम इस blog पोस्ट में महान खगोलविद, गैलीलियो गैलिली की जीवन परिचय (Biography Of Galileo Galilei)और उनके खगोल विज्ञान में योगदान को पढेंगे। गैलीलियो गैलिली (Galileo Galilei) एक महान खगोल विज्ञानी थे। Galileo Galilei invention मे एक शक्तिशाली दूरबीन बनाया था। इसी दूरबीन की सहायता से गैलीलियो ने सौरमंडल के बारे मे जानते थे ।
गैलीलियो गैलिली की जीवन परिचय (Biography Of Galileo Galilei) हिन्दी मे
क्रमांक | विषय | जानकारी |
---|---|---|
१. | जन्म | १५ फरवरी १५६४, पीसा, टस्केनी, पापा राज्य, इटली |
२. | परिवार | गैलिलियो के पिता वानो गालिली, एक म्यूजिशियन और संगीत शिक्षक थे। उनकी मां जूलिया अमोन्ते, जो एक गार्जी के बेटे की बेटी थी। |
३. | शिक्षा | पीसा के यूनिवर्सिटी में तारीखी और नतीजें की पढ़ाई, जहां पीसा के सूर्यमंदिर के पाठ्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया गया था। |
४. | आविष्कार | सहायक लेंस के बिना विस्तार से निकलने का प्रथम उदाहरण |
५. | नवीन विचार | हेलियोसेंट्रिक विश्ववाद का प्रस्ताव, दृश्य वास्तविकता का समर्थन |
६. | नियंत्रण | चर्चा में रोमन संघार्य क्लेमेंट अधिकृत्य, गैलिलियो को गृहनयन के लिए बनाया |
७. | विवाद | धर्मिक और वैज्ञानिक संघर्ष, ब्रह्मांड के सामंजस्य पर आपत्ति |
८. | पुरस्कार | उत्तम वैज्ञानिकी योग्यता के लिए प्रसिद्धि |
९. | मृत्यु | ८ जनवरी १६।२, आर्केट्रस तिहार, फ्लोरेंस, तोस्काना, टस्केनी, पापा राज्य, इटली |
गैलीलियो गैलिली की जन्म
गैलिलियो गैलिली की जन्म ५ फरवरी १५६४ को हुआ था। उनका जन्म पीसा, टस्केनी, पापा राज्य, इटली में हुआ था। गैलिलियो गैलिली के पिता का नाम वानो गालिली था, जो एक म्यूजिशियन और संगीत शिक्षक थे। उनकी मां का नाम जूलिया अमोन्ते था, जो एक गार्जी के बेटे की बेटी थी।
वह बचपन से ही बड़ी तेज बुद्धिवाला बालक था । उसके पिता बहुत गरीब थे, इसलिए उसके पिता गैलीलियो की पढ़ाई छुड़ाकर को काम पर लगा दिया ताकि वह कुछ धन कमा सके । उसे कपड़े के business में लगा दिया था । वहाँ गैलीGalileo Galilei लियो ने इतनी बुद्धिमानी व लगन से काम किया कि business में काफी लाभ हुआ गैलीलियो का भाग्य पलटा और वह फिर पढ़ाई में लग गया ।
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galileo galilei influenced गैलीलियो की गणित में बहुत रुचि थी । वह गणित के कठिन से कठिन प्रश्न आसानी से हल कर लेता था । थोड़े दिनों में ही वह गणित का विद्वान बन गया । गैलीलियो की प्रतिभा देखकर फ्लोरेंस नगर के प्रतिष्ठित व्यक्ति ने उसे पीसा विश्वविद्यालय में गणित का अध्यापक नियुक्त कर दिया । धीरे – धीरे गैलीलियो के गणित ज्ञान का विस्तार हुआ । उसने गणित के अनेक सिद्धांतों को गलत सिद्ध कर दिया । इससे लोगों को अच्छा नहीं लगा ।
उनका यह प्रयोग देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गयी । गैलीलियो ने देखा कि वहाँ पीसा विश्वविद्यालय के अध्यापक और छात्रों के अलावा शहर के धार्मिक नेता और बड़े लोग भी खड़े हैं पर गैलीलियो जरा भी न घबराया । उसने मीनार के छज्जे पर झुककर दोनों गोलों को एक साथ गिरा दिया ।
लोगों ने देखकर आश्चर्य किया कि दोनों गोले एक साथ ही नीचे गिरे थे । इस तरह अरस्तू का सिद्धांत झूठा सिद्ध हुआ था । गैलीलियो जब नीचे उतरा तो कट्टरपंथी लोग वहाँ उसके खिलाफ तरह – तरह की बातें कर रहे थे— ” यह घमंडी है । यह बड़ों का अपमान करता है । यह पुरानी बातों को झूठ बताता है । ”
गैलीलियो को इससे बहुत दुख हुआ कि लोग उसकी सराहना करने की बजाय गालियाँ दे रहे हैं । क्या सत्य कहने का पुरस्कार यही है ? और गैलीलियो ने अध्यापक पद से इस्तीफा दे दिया । हालाँकि नौकरी छोड़ देने से गैलीलियो को दुख के दिन देखने पड़े किंतु वह हार मानने और सत्य की राह छोड़ने को तैयार न थे । कुछ ही दिनों में फ्लोरेंस नगर के उसी प्रतिष्ठित व्यक्ति ने उन्हें पटुआ विश्वविद्यालय में नौकरी दिला दी ।
गैलीलियो फिर अपने काम पर लग गए । इन्हीं दिनों उन्हें बचपन की वह घटना याद आई । हिलतेहुए लँप ने उन्हें नया विचार दिया । उन्होंने अपनी नाड़ी पकड़ कर उसे लँप की हिलने की गति से मिलाया । अचानक गैलीलियो के मस्तिष्क में दो आविष्कारों का रहस्य स्पष्ट हो गया । उन्होंने सोचा कि यदि घड़ी में कोई चीज लटकाई जाए तो वह भी इसी तरह घड़ी की टिक – टिक के साथ हिलती रहेगी । इस टिक – टिक की गति यदि सुनकर हम अपनी नाड़ी की गति को मिलाएँ तो पता लग सकता है कि हमारी धड़कन की गति बीमारी के समय बदल जाती है ।
दौड़ने या बुखार आने पर वह बढ़ जाती है , लेकिन जब हालत बिगड़ने लगती है तो नाड़ी की धड़कन कम हो जाती है । धड़कन बंद होते ही मृत्यु हो जाती है । गैलीलियो ने सोचा कि जैसे ही लैंप का हिलना बंद हुआ , वह स्थिर हो गया । उसी तरह पेंडुलम का हिलना देखकर जाना जा सकता है कि घड़ी बंद है । साथ जब लँप की गति धीमी होने लगी तो उसने संकेत दिया कि वो रुकने वाला है । ठीक इसी तरह नाड़ी की धीमी गति , खतरे की सूचना देती है और लोग उसे पुनः गतिशील बनाने के लिए उपचार करने लगते हैं ।
घड़ी की गति से मिलाकर नाड़ी की गति जानने के लिए गैलीलियो ने एक यंत्र भी बनाया जो चिकित्सा के लिए बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ उसका नाम था— ‘ पल्स मीटर ‘ । लेकिन गैलीलियो के प्रयोग यहीं तक सीमित नहीं रहे । गैलीलियो आकाश के चाँद , तारों , सूर्य आदि की गति की गणना किया करते थे । इसके लिए उन्होंने एक शक्तिशाली दूरबीन बनाई थी । गैलीलियो ने लिखा है कि जब इस दूरबीन की चर्चा वेनिस पहुँची तो उन्हें राजा सिग्नोरिया ने अपने दरबार में आमंत्रित किया ।
गैलीलियो वह दूरबीन लेकर गए तो उसे देखकर सभी चकित रह गए । कई दरबारियों ने तो वेनिस के गिरिजाघर के ऊपर चढ़कर दूर जा रहे पालदार जहाजों को उस दूरबीन की सहायता से एकदम नजदीक देखा । दरअसल उससे कोई भी चीज अपनी वास्तविक दूरी से दस गुना निकट दिखाई देती थी । गैलीलियो ने अपनी इस दूरबीन और गणित के सिद्धांतों की सहायता से आकाश के ग्रहों की स्थिति का अध्ययन किया और यहीं से उनके मुसीबत भरे दिनों की शुरुआत हुई ।
गैलीलियो ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर अनेक पर्वत व घाटियाँ हैं । बृहस्पति ग्रह अकेला नहीं है , उसके साथ कुछ उपग्रह भी हैं । इसी तरह हमारी आकाशगंगा सहस्त्रों तारों का समूह है । गैलीलियो ने कहा कि इस ब्रह्मांड का केन्द्र है – सूर्य , न कि पृथ्वी । यह भी कहा कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है ।
गैलीलियो की इन बातों से धार्मिक नेता और कट्टरपंथी लोग चिढ़ गए । गैलीलियो को राज्य – शासन ने चेतावनी दी कि वह ऐसो फिजूल की बातें कहना बंद कर दे । गैलीलियो उनकी चेतावनी पर चुप तो हो गए , पर वह अपनी सभी बातों को एक पुस्तक में लिखते रहे । जब वह 70 वर्ष के हो गए तब उस पुस्तक को प्रकाशित किया गया ।
पुस्तक प्रकाशित होते ही एक बार फिर उनके खिलाफ लोगों ने आवाज उठाई । उनके खिलाफ अदालत में मुकदमा चला । अधिकारियों ने गैलीलिया पर दबाव डाला कि वह मान लें कि पुस्तक में लिखी बातें झूठी हैं , तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा । , आखिर वह दिन आया जब गैलीलियो को अदालत में फैसला सुनने के लिए । खड़ा होना पड़ा ।
अदालत में न्यायधीश ने एक बार फिर पूछा कि उन्हें अपने बचाव में कुछ कहना है । गैलीलियो ने नीचे की ओर सिर झुकाया और फुसफुसाकर कहा “ पृथ्वी ही सूर्य के चारों ओर घूमती है । ” और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया । गैलीलियो की आँखें , दूरबीन से ग्रहों की स्थिति देखने के कारण कमजोर हो गई थीं । बुढ़ापे में तो वह लगभग अंधे हो गए थे । सन् 1637 में जब वह जेल से छूटे तो उन्हें बिलकुल नहीं दिखाई देता था ।
8 जनवरी , 1642 में उनका निधन हो गया । पर उन्होंने सदा सत्य की खोज और सत्य को सिद्ध करने में ही जीवन लगाया । विज्ञान जगत् के सामने आज वे सभी बातें सच सिद्ध हुईं , जिनके लिए उन्हें जेल की यातनाएँ सहनी पड़ी थीं ।